उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने जब दिसंबर 2018 में बेसिक शिक्षा विभाग में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली तो लाखों उम्मीदवारों के चेहरे खिल गए.
सालों से सरकारी नौकरी का इंतेज़ार कर रहे बीएड-बीटीसी पास नौजवानों और शिक्षामित्र के रूप में अपनी जवानी घिस रहे लोगों की उम्मीद बंधी की अब सरकारी नौकरी मिलने ही वाली है.
लेकिन अब अदालती दांव पेंच और भ्रष्टाचार की जांच में फंसकर इस भर्ती का भर्ता बन चुका है. स्वयं सरकार को भी नहीं मालूम कि आगे क्या होगा.
एक ओर तो धांधली और नकल के आरोप में प्रयागराज पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ़्तार किया है और दूसरी ओर बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी दावा कर रहे हैं कि भर्ती की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही है.
जिस वक़्त ये ख़बर लिखी जा रही है, एक और याचिका अदालत में दायर हो चुकी है.
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में टीईटी पास आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करने के 25 मार्च 94 के शासनादेश की वैधता की चुनौती याचिका दाखिल की गई है. मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से एक माह में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अजीत कुमार और 35 अन्य की याचिका पर दिया है.
इस याचिका में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा, 2019 में एनसीटीई और राज्य सरकार द्वारा टीईटी पात्रता के लिए 5% की छूट, एआरटीई परीक्षा में पुनः 5% की छूट तथा उत्तर प्रदेश आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) एवं शासनादेश 25-मार्च 1994 द्वारा आरक्षित वर्ग को आयु की छूट देने की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है.
वहीं दूसर ओर प्रदेश के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया है कि इस भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है जिसे उजागर करने के लिए एसटीएफ़ की जांच काफ़ी नहीं है.
अमिताभ ठाकुर ने सीबीआई की जांच की मांग करते हुए अपनी ओर से अदालत के ज़रिए एफ़आईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू की है.
वहीं पहले ही इस भर्ती से जुड़े मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने सैंतीस हज़ार से अधिक पदों को होल्ड करने का आदेश यूपी सरकार को दिया है वहीं हाई कोर्ट ने भर्ती की प्रक्रिया को 12 जुलाई तक के लिए रोक दिया है.
इसी बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.
लेकिन इस सबके बीच उन अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक रहा है जो इस भर्ती से अपनी ज़िंदगी संवरने के ख्वाब संजोए बैठे थे.
क्या है ये पूरा मामला
69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए दिसंबर 2018 में वैकेंसी निकाली गई थी.
जनवरी 2019 में हुई भर्ती परीक्षा में चार लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था.
परीक्षा 150 अंकों की थी जिसमें से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को कम-से-कम 65% यानी 97 और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को कम-से-कम 60% यानी 90 अंक लाने थे.
लेकिन इससे पहले सहायक शिक्षकों के 68,500 पदों के लिए जब भर्ती हुई थी तब सामान्य वर्ग के लिए कट ऑफ़ 45% और आरक्षित वर्ग के लिए 40% था.
नई भर्ती में कट ऑफ़ बढ़ाने को अदालत में चुनौती दी गई. 11 जनवरी 2019 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बैंच ने कट ऑफ़ को फिर से 45 और 40 फ़ीसदी कर दिया.
लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने मई 2019 में हाई कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील दायर कर दी. वहीं बीएड और बीटीसी पास कर चुके अभ्यर्थियों के एक समूह ने भी हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील दायर कर दी.
नतीजा आने से पहले ही भर्ती का ये मामला अदालती दाँवपेंच में फंस गया.
अदालत में सुनवाई चलती रही और फिर 6 मई 2020 को हाईकोर्ट ने सरकार को राहत देते हुए कट ऑफ़ को फिर से 97 नंबर और 90 नंबर कर दिया.
बेसिक शिक्षा विभाग ने13 मई को नतीजे जारी कर दिए गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सप्ताह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया.
लेकिन अभ्यर्थियों के समूह ने परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्नों की वैधता पर सवाल करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी.
लखनऊ बैंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए भर्ती प्रक्रिया 12 जुलाई तक रोक दी है.
वहीं शिक्षामित्रों के एक और समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी.मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 37,339 पदों को होल्ड करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई होगी.
धांधली के आरोप और गिरफ्तारियां
इसी बीच प्रयागराज पुलिस ने एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए 11 लोगों को गिरफ़्तार किया है जिसमें परीक्षा का केंद्र रहे एक कॉलेज के प्रबंधन से जुड़े लोग भी शामिल हैं.
आरोप है कि अभ्यर्थियों से आठ से दस लाख रुपए लेकर पास कराने का वादा किया गया.
पुलिस की जांच में पता चला है कि एक भर्ती केंद्र पर बड़े पैमाने पर नकल हुई है.
कांग्रेस नेता प्रयिंका गांधी ने आरोप लगाया है कि अभियुक्तों से बरामद डायरी में पैसों के लेनदेन का रिकॉर्ड है.
इन सब जांचों, अदालती सुनवाइयों और आरोप-प्रत्यारोप के बीच उन अभ्यर्थियों के सपने धुंधला रहे हैं जिन्होंने इस भर्ती परीक्षा के लिए जी तोड़ मेहनत की.
इनमें से बहुत से ऐसे होंगे जो भ्रष्टाचार की वजह से मेरिट से ही बाहर हो गए होंगे.