लखनऊ नगर निगम ह्यूमने सोसायटी इंटरनेशनल की मदद से आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कर रहा है.
नगर निगम ने इंदिरा नगर में एक शरण केंद्र बनाया है जहां एचएसआई पकड़े हुए कुत्तों को लेकर आती है. यहीं उनकी नसबंदी की जाती है और फिर उन्हें दोबारा उनके इलाक़ों में छोड़ दिया जाता है.
अमरीका की संस्था एचएसआई दुनियाभर में पशुओं के लिए काम करती है.
नगर निगम का कहना है कि संस्था के बेहतर काम को देखते हुए ही उसे शहर के कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसंबदी करने का काम सौंपा गया है.
एप से कुत्तों की जियो टैगिंग
एचएसआई से जुड़े डॉ. नीरज कुमार ने लखनऊ पोस्ट को बताया है कि पकड़े गए सभी कुत्तों की मॉनीटरिंग एप के ज़रिए जियो टैगिंग भी की जा रही है.
कुत्ते को पकड़ते वक़्त उसकी तस्वीर ली जाती है और फिर उसके डाटा को एप में फीड किया जाता है.
नसबंदी के बाद कुत्ते को उसी के इलाक़े में छोड़ दिया जाता है.
एचएसआई का अनुमान है कि लखनऊ नगर निगम के इलाक़े में लगभग 75000 आवारा कुत्ते होंगे. इस प्रोजेक्ट के तहत अब तक क़रीब सात हज़ार कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है.
इस काम के लिए नगर निगम एचएसआई को 999 रुपए प्रति कुत्ते की दर से भुगतान कर रहा है.
नसबंदी के बाद शांत हो जाते हैं कुत्ते
डॉ. नीरज के मुताबिक नसबंदी का कुत्तों के व्यवहार पर भी पड़ता है. हार्मोनल चेंज होने की वजह से वो शांत हो जाते हैं.
लखनऊ में एचएसआई की कुत्ता पकड़ने वाली टीम में कुल चौंतीस लोग हैं.
ये टीम महीने में क़रीब 1200 कुत्ते पकड़ रही है.
इस प्रोजेक्ट का मक़सद आवारा कुत्तों की समस्या को ख़त्म करना है.
नसबंदी के साथ ही कुत्तों को एंटी रैबीज़ इंजेक्शन भी दिए जाते हैं.