उत्तर प्रदेश में लागू साप्ताहिक लॉकडाउन का आज दूसरा शनिवार है.
इस लॉकडाउन का मक़सद लोगों को घर में रहने के लिए प्रेरित करना और कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ना है.
बीता सप्ताह कोरोना के आंकड़ों के लिहाज से राजधानी लखनऊ के लिए चिंताजनक रहा है.
पहली बार एक दिन में संक्रमण के मामलों का आंकड़ां तीन सौ के पार चला गया.
राजधानी में अभी कल तक के आंकड़ें के मुताबिक 3386 मामले हैं. लेकिन लोगों में कोरोना को रोकने के प्रति गंभीरता नहीं दिख रही है.
समाचार टुडे संवाददाता ज्ञानेश आज जब शहर में निकले तो उन्होंने ये तस्वीरें ली जिनमें ज़िंदगी रोज़मर्रा की तरह चलती दिख रही है.
सड़कों पर आवागमन पहले जैसा ही है. लखनऊ के कैंट एरिया में दोपहर के एक बजे सड़कों पर लोगों की आवाजाही दिखी.
लॉकडाउन के इस उल्लंघन के लिए जहां लोगों को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है वहीं प्रशासनिक ज़िम्मेदारी से भी पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता.
संवाददाता का कहना है कि शहर में चौराहों पर लोगों को रोकने के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात नहीं हैं.
यही वजह है कि सड़क किनारे लगी दुकानें खुली हैं और लोग ख़रीददारी कर रहे हैं.
लखनऊ में कोरोना को बढ़ने से रोकने के लिए बीस जुलाई से चार थानाक्षेत्रों को ही कंटेनमेंट ज़ोन घोषित किया गया है.
प्रशासन लॉकडाउन के उल्लंघन पर जुर्माना भी लगा रहा है. बावजूद इसके कोरोना के प्रति गंभीरता लोगों में दिखाई नहीं दे रही है.
उदासीनता प्रशासन और पब्लिक दोनों की ओर से है. सभी को ये समझना होगा कि लॉकडाउन अगर लगाया गया है तो हम सबकी भलाई के लिए ही है.
कोरोना वायरस का अभी कोई इलाज या टीका नहीं है. सावधानी ही अभी तक एकमात्र बचाव है. हमें इस वायरस के साथ जीना और इससे लड़ना सीखना होगा.
ये शुरुआत हमें अपने आप से ही करनी होगी, बेवजह घर से बाहर न निकलें. घर का कोई सदस्य बाहर जा रहा है तो उसे रोकें. बहुत ज़रूरी होने पर ही बाहर निकलें.