न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दो हज़ार से अधिक कोरोना संक्रमित स्वास्थ्य विभाग में ग़लत जानकारी और पता देकर ‘ग़ायब’ हो गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक दो हज़ार से अधिक संक्रमितों ने टेस्ट कराने के दौरान अपने बारे में ग़लत जानकारियां स्वास्थ्य विभाग को दी.
नतीजे पॉज़ीटिव आने पर इनसे संपर्क नहीं किया जा सका. बाद में सर्विंलास टीम के ज़रिए 1171 कोरोना पॉज़ीटिवों को तलाश लिया गया है. जबकि अभी भी 1119 संक्रमितों की तलाश जारी है.
ये तथ्य बेहद चिंताजनक है. लखनऊ में पिछले 10 दिनों में कोरोना पॉजिटिव पाए गए 2290 मरीजों ने गलत नंबर और पते दिए थे. ये पॉजिटिव हैं. अपने परिवार और समाज के लिए खतरा हैं और इनके बारे में कोई जानकारी नहीं है. पुलिस का एक विशेष दस्ता इनकी तलाश में है और ये सब लखनऊ में छिपे हुए हैं.
— Brajesh Misra (@brajeshlive) August 2, 2020
इन लापता संक्रमितों की सूची अब पुलिस को सौंपी गई है. सर्विलांस टीम इनकी तलाश में जुटी है. जबकि अब तक मिले 1171 मरीज़ों को अस्पतालों में भर्ती करा दिया गया है.
लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे का कहना है कि अपने बारे में ग़लत जानकारी देने वाले लोगों पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने लापता मरीज़ों का मुद्दा उठाते हुए ट्विटर पर लिखा है कि सरकार कर क्या रही है?
वहीं लखनऊ पुलिस कमिश्नर ने संजय सिंह को जवाब देते हुए कहा है कि ये सूचना ग़लत है.
यह सूचना पू्र्णतः गलत है। कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग एक निरन्तर प्रक्रिया है जिसमें जिला प्रशासन, मेडिकल टीम एवं पुलिस प्रशासन द्वारा 100 प्रतिशत कार्यवाही निरन्तर की जा रही है।
— POLICE COMMISSIONERATE LUCKNOW (@lkopolice) August 3, 2020
लखनऊ पुलिस की ओर से कहा गया है कि कांटेक्ट ट्रेसिंग एक निरन्तर प्रक्रिया है जिसमें पुलिस प्रशासन द्वारा 100 प्रतिशत कार्रवाही की जा रही है.
हालांकि पुलिस कमिश्नर ने 2290 कोरोना संक्रमितों के लापता होने के बारे में कुछ नहीं कहा है.
वहीं लखनऊ के सीएमओ आरपी सिंह का कहना है कि कुछ लोगों ने ग़लत जानकारियां दी होंगी लेकिन इतनी बड़ी तादाद की एक वजह ये भी हो सकती है कि बहुत से लोग लखनऊ में रहकर काम करते हैं लेकिन उनका मूल निवास कहीं और होता है. आधार से डाटा मैच कराने पर भी अलग डाटा आ रहा है.
आरपी सिंह के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग एल-1 कैटेगरी के अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ा रहा है और उन्हें एल-टू की श्रेणी में ला रहा है.
लखनऊ में प्रतिदिन पांच हज़ार से अधिक कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं.
संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए टेस्ट करके संक्रमितों का पता करना और उन्हें बाक़ी लोगों से अलग करना ज़रूरी है.
टेस्ट प्रक्रिया के दौरान कई लोगों ने अपने नाम, पते और फ़ोन नंबर ग़लत दर्ज करवा दिए.
टेस्ट नतीजे पॉज़ीटिव आने के बाद जब संक्रमितों की तलाश हुई तो कई के नाम पते ग़लत पाए गए.
लखनऊ इस समय उत्तर प्रदेश का सबसे संक्रमित शहर है. कल तक संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 8700 के क़रीब थी जिनमें से चार हज़ार से अधिक एक्टिव केस हैं.