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योगी से मदद की गुहारः घर का ताला तोड़ती महिला के इस वीडियो का क्या है पूरा सच

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लखनऊ की रहने वाली बिंदू पांडे बीते कई दिनों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्वीट करके मदद की मांग कर रही हैं.

बिंदू का आरोप है कि उनके मकान पर जबरन क़ब्ज़ा कर लिया गया है और स्थानीय पुलिस इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

बिंदू ने कई वीडियो भी ट्वीट किए हैं जिनमें कुछ महिलाएं हथौड़े से दरवाज़ें पर लगा ताला तोड़ती दिख रही हैं.

एक वीडियो में एक महिला अपने आप को डीआईजी की बहू होने का दावा भी कर रही है.

बिंदू पांडे के मुताबिक ये घटनाक्रम बीते सप्ताह का है. उनका कहना है कि उनके पिता ने इस मकान को संदीप साहू के नाम बेचने का एग्रीमेंट 2006 में किया था जिसे संदीप साहू पूरा नहीं कर सके.

बिंदू का आरोप है कि अब उन्होंने ज़बरदस्ती मकान पर क़ब्ज़ा कर लिया है. संपत्तियों पर विवाद लड़ाई झगड़ा होना और क़ब्ज़े के मामले का अदालतों में लंबे चलना आम बात है.

वहीं आशियाना थाने के एसएचओ संजय राय ने लखनऊ पोस्ट से बात करते हुए बताया कि ये पूरा विवाद मकान पर क़ब्ज़े को लेकर है.

संजय राय के मुताबिक पुलिस ने दोनों पक्षों पर शांति भंग के तहत कार्रवाई की है और विवाद के निपटारे के लिए अदालत का रुख करने की सलाह दी है.

संजय राय कहते हैं, ‘ट्वीट करने वाली महिला के आरोपों की जांच की गई तो पता चला उनके पिता ने इस मकान को बेचने का एग्रीमेंट साल 2006 में किया था. तब से संदीप साहू ही इस मकान में रह रहे थे. पड़ोस के लोगों ने इस बात की पुष्टि की है. बीते सप्ताह ट्वीटकर्ता और उनके परिवार ने उन्हें जबरन घर से बाहर निकालकर अपना ताला लगा दिया.’

वो कहते हैं, ‘बाद में संदीप साहू पक्ष ने अपने मकान पर दोबार कब्ज़ा लिया. अब मकान पर उन्हीं का ताला है. ये पूरा विवाद संपत्ति का है, संपत्ति किसकी है ये अदालत तय करेगी.’

ताला तोड़ने वाली महिला कौन हैं

वीडियो में जो महिला ताला तोड़ रही हैं उनका नाम अतुल सिंह है और वो अपने आप को सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता बताती हैं.

अतुल सिंह से जब इस वीडियो को बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि संदीप साहू, जिसे वो अपना भाई मानती हैं, उसे जबरन घर से निकाल दिया गया था.

वो कहती हैं, ‘वो बेहद ग़रीब है, जब उसे घर से निकाला गया तो वो मेरे पास मदद मांगने आया. मैं उसे लंबे समय से जानती हूं. ये मकान ख़रीदने में भी मैंने उसकी आर्थिक मदद की थी.’

वो कहती हैं, ‘वीडियो में जो दिख रहा है वो पूरा घटनाक्रम नहीं है. इससे पहले बिंदू पांडे और उनके परिवार ने रात के अंधेरे में इस मकान का दरवाज़ा काटकर इस पर अपना ताला लगा दिया था.’

मकान के विवादित होने पर वो कहती हैं, ‘इसे ख़रीदने का एग्रीमेंट साल 2006 में किया गया था. पूरे पैसे चुका दिए थे, बस पांच हज़ार रुपए और रजिस्ट्रेशन रह गया था. इसके दस्तावेज़ मौजूद हैं.’

अतुल सिंह कहती हैं, ‘अब मकान बेचने वाले पक्ष की नीयत बदल गई है और वो मकान पर वापस क़ब्ज़ा करके ग़रीब का पैसा हड़पना चाहते हैं.’

वहीं बिंदू पांडे का कहना है कि एग्रीमेंट तो हुआ था लेकिन पूरा पैसा नहीं चुकाया गया था. वो कहती हैं, ‘हम लिया गया पैसा लौटाने के लिए तैयार हैं.’

फिलहाल इस घटनाक्रम में पुलिस ने किसी को गिरफ़्तार नहीं किया है और समझा-बुझाकर मामला शांत करने की कोशिश नहीं की है.

एसएचओ संजय राय कहते हैं, ‘अब तक की जांच रिपोर्ट अधिकारियों को भेज दी गई है. हमने दोनों पक्षा को समझाया है. यदि आगे भी कुछ होता है तो हम क़ानून के हिसाब से कार्रवाई करेंगे.’

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