पब्लिक प्रशासन

78 करोड़ खर्च फिर भी स्वच्छता सर्वेक्षण में पीलीभीत ज़िला रहा फिसड्डी

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मोहम्मद जावेद

उत्तर प्रदेश का भाजपा शासित ज़िला पीलीभीत इस महामारी के समय मे भी स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है इस बात का अंदाजा आप इस घटना से लगा सकते हैं कि बीते दिनों एक भिखारी को पीपीई किट पहने घूमता हुआ देख गया था.

महामारी नियंत्रण और निरंतर बढ़ रहे संक्रमण के लिहाज़ से ये स्वास्थ्य विभाग की बहुत बड़ी लापरवाही है कि यहां इस्तेमाल किए गए पीपीई किट को ऐसे ही कूड़े में फेंक दिया गया, जिसे पहनकर भिखारी पूरे शहर में घूमता रहा.

कोरोनावायरस से ग्रस्त लोगों की देखभाल व संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर व कर्मचारी पीपीई किट को पहनते हैं जो सिर्फ एक बार इस्तेमाल की जा सकती है. इस्तेमाल के बाद इसको एक पैकेट में बंद करके हाइड्रो क्लोराइड सॉल्यूशन में डाला जाता है, फिर मेडिकल वेस्ट कम्पनी इसको लेकर जाकर नष्ट कर देती है ताकि इससे संक्रमण न फ़ैल सके.

जिला पीलीभीत में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की ख़बरें अक्सर अखबारों में छपती रहती हैं. इस बार भी मामला लोगों के स्वास्थ्य से ही जुड़ा हुआ है.
पीलीभीत नगर क्षेत्र में सफाई व्यवस्था के नाम पर नगर पालिका ने 78 करोड़ रुपये की मोटी रकम का बजट खर्च दिया लेकिन सूरत ए हाल में कोई तब्दीली नही है. ना कूड़ा हटा और ना ही नालों की तालझाड सफाई हुई. कोरोना संक्रमण की इस नाज़ुक घड़ी में हालात ऐसे हैं कि ज़िले की सड़कों पर अगर आप बिना मास्क पहनें निकल जाएं तो शायद ही बीमार होने से बच पाए.

पीलीभीत नगर पालिका द्वारा हर महीने स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर 65 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं. स्वास्थ्य की अत्यंत दयनीय स्तिथि के बाद भी नगरपालिका के जिम्मेदार दावा करते हैं कि उनसे अच्छी सफाई व्यवस्था कोई कर ही नहीं सकता. हाल ही में हुई स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग इस दावे की पोल खोलकर रख देती है जिसमें पीलीभीत को 259 वह नंबर पर रखा गया है और इतना ही नहीं मंडल में पीलीभीत नगर पालिका सबसे पीछे है.

इसके अलावा पीलीभीत नगर पालिका अभी तक शहर में एक वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट नहीं लगवा पाई है जिसके चलते शहर भर से निकला कूड़ा पीलीभीत शहर से निकलने वाली नदी देवहा के किनारे डाला जाता है. इस कूड़े से तेज दुर्गंध आती है और रोड से निकलने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

स्वच्छता के लगभग सारे पैमानों पर ज़िला पीलीभीत का सफाई विभाग खरा उतारने में फेल होता नजर आ रहा है लेकिन फिर भी सबसे बेहतर होने का दावा कर रहा, जो सोचनीय है. पीलीभीत जलभराव की समस्या से भी निरंतर कई सालों से जूझ रहा है. हाल ही में हुई नालों की सिल्ट सफाई कराई गई हो, फिर भी हालात कुछ ऐसे हैं कि जगह-जगह हल्की-फुल्की बरसात के बाद ही जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है जिससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

पीलीभीत नगर पालिका क्षेत्र में सफाई करने का जिम्मा 180 स्थाई और 250 ठेका कर्मचारियों के कंधे पर है. नगरपालिका आउटसोर्सिंग और ठेके पर नाला सफाई कर आती है, लेकिन तब भी सफाई के हालात ऐसे हैं कि अगर सड़कों पर निकल कर अधिकारी एक बार ठीक से हालात देख लें तो जिम्मेदारों का कार्रवाई से बच पाना मुश्किल है.

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