आज सुबह उत्तर प्रदेश में एक बस के 34 सवारियों के साथ अगवा किए जाने की ख़बर आग की तरह फैली.
ख़बर ही ऐसी थी कि जिसने भी सुना सकते में आ गया.
उत्तर प्रदेश के सबसे सुरक्षित हाईवे में से एक दिल्ली लखनऊ एक्सप्रेस वे पर आगरा के पास एक सवारियों से भरी बस को बीती रात अग़वा कर लिया जाना कोई मामली बात नहीं है. पुलिस बस की कई टीमें बस की तलाश में जुटी हैं लेकिन सुबह 11 बजे तक भी बस का पता नहीं चल सका है.
फ़ाइनेंस कंपनी ने लिया क़ब्ज़े में
अब इस मामले में आगरा पुलिस का कहना है कि बस को फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों ने अपने क़ब्ज़े में लिया है.
आगरा के पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने एक बयान में कहा है कि ये बस को अग़वा किए जाने का नहीं बल्कि क़ब्ज़े में लिए जाने का मामला है.
उन्होंने एक बयान में कहा कि बस के कंडक्टर और ड्राइवर को उतारकर फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी बस को ले गए थे. इसमें चौंतीस सवारियां भी थीं.
अब पुलिस फाइनेंस कंपनी पर अपहरण का मुक़दमा दर्ज कर रही है.
लेकिन सवाल ये भी उठ रहा है कि फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी बस को सवारियों के साथ क्यों लेकर गए और सवारियों को क्यों नहीं उतारा गया.
ग्वालियर में पंजीकृत ये बस गुरुग्राम से चली थी और मध्य प्रदेश के पन्ना की ओर जा रही थी.
आगरा के एसपी बबलू कुमार के मुताबिक फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों ने बस को ओवरटेक करके अपने क़ब्ज़े में ले लिया था. बस के ड्राइवर और कंडक्टर ने पुलिस को बुधवार सुबह को सूचना दी है.
बस अब कहां है?
आगरा पुलिस ने लखनऊ पोस्ट को बताया है कि पुलिस की कई टीमें बस की खोज कर रही हैं. बस और सवारियों तक अभी तक पुलिस नहीं पहुंच सकी है.
हालांकि पुलिस का कहना है कि सवारियों से संपर्क हो गया है और वो सुरक्षित हैं.
उठते सवाल
इस प्रकरण में कई सवाल उठ रहे हैं. सबसे अहम सवाल ये है कि कई घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस बस और सवारियों तक क्यों नहीं पहुंच सकी है. सवाल ये भी है कि फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों को अगर बस को क़ब्ज़े में लेना था तो इसके लिए सवारियों के साथ बस को क्यों अग़वा किया गया.
सोशल मीडिया पर कई यूज़र ये सवाल उठा रहे हैं कि इस प्रकरण में दाल में कहीं कुछ काला भी हो सकता है.