[speaker]राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत जेल में बंद उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के डॉक्टर कफ़ील ख़ान की अर्ज़ी पर आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई होगी.
हाई कोर्ट ने कफ़ील ख़ान की रिहाई करने की मांग करते हुए दायर की गई याचिका पर बुधवार को यानी आज केंद्र सरकार और राज्य सरकार से जवाब दाख़िल करने के लिए कहा था.
डॉक्टर कफ़ील ख़ान की मां नुज़हत परवीन की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस मनोज मिश्र और जस्टिस दीपक वर्मा की पीठ ने यह आदेश पारित किया था.
कफ़ील ख़ान की मां की ओर से दायर याचिका में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून की कार्रवाई रद्द करके उन्हें रिहा करने की मांग की गई है. इस याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज सुनवाई होगी.
डॉक्टर कफ़ील ख़ान को भड़काऊ बयानबाज़ी के आरोपों में गिरफ़्तार किया गया था. अलीगढ़ के ज़िलाधिकारी ने उन पर 13 फ़रवरी को रासुका लगाई थी.
कफ़ील ख़ान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. डॉ. ख़ान पर रासुका जेल में रहते हुए ही लगाई गई थी.
कफ़ील ख़ान को हाल ही में ज़मानत भी मिल गई थी लेकिन इस दौरान रासुका की अवधि को फिर से बढ़ा दिया गया था.
राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत गिरफ़्तार किए गए लोगों को छह महीने तक जेल में रखा जा सकता है. डॉ ख़ान इस समय उत्तर प्रदेश के मथुरा की जेल में बंद हैं.
14 अगस्त को उन पर लगी रासुका की अवधि को तीन और महीनों के लिए बढ़ा दिया गया था.
पत्नी ने उठाए आज़ादी पर सवाल
इसी बीच डॉ. ख़ान की पत्नी शाबिस्ता ख़ान ने एक वीडियो बयान जारी कर सवाल उठाया है कि उनके पति को किस आधार पर जेल में रखा जा रहा है.
रासुका लगाए जाने पर सवाल उठाते हुए शाबिस्ता ख़ान ने कहा था, ‘वह डॉक्टर जिसने मुश्किल वक्त में जगह-जगह देश के लोगों की सेवा की हो, उससे देश को क्या खतरा हो सकता है?’
डॉ. कफ़ील ख़ान पर लगाई गई रासुका को तीन बार आगे बढ़ाया जा चुका है. उनकी पत्नी ने कहा, ‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या आज हम वाकई आजाद हैं? अगर आज हम अपने हक के लिए आवाज उठाते हैं तो हमें जेल में डाल दिया जा रहा है. आज मेरे पति के साथ यह हो रहा है, कल किसी और के पति या बेटे के साथ होगा. अगर आज आप हमारे लिए आवाज नहीं उठाएंगे तो कल आपके लिए भी कोई आवाज नहीं उठाएगा.’
2017 में चर्चा में आए थे ख़ान
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले के दौरान डॉक्टर कफ़ील चर्चा में आए थे. उन्होंने निजी तौर पर अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाए थे जिसके बाद मीडिया में उन्हें हीरो की तरह पेश किया गया था.
इस प्रकरण ने तब सत्ता में आए योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए थे. योगी इस प्रकरण से इतने खिन्न हुए थे कि डॉ. ख़ान पर ही मुक़दमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया था.
कफ़ील ख़ान उस समय अस्पताल में बच्चों के वॉर्ड के नोडल अधिकारी थे. उन पर लापरवाही के आरोप लगाए गए थे.
डॉ. ख़ान अब एक चर्चित चेहरा बन चुके हैं और उन्हें उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के उभरते नेतृत्व के तौर पर देखा जा रहा है.