लखनऊ नगर निगम की कार्यकारिणी ने लखनऊ की सफ़ाई व्यवस्था में लगी कंपनी इकोग्रीन से ठेका वापस लेने का फ़ैसला लिया है.
नगर निगम की कार्यकारिणी के निर्णय के बाद अब जल्द ही प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर ठेका निरस्त करने की मांग की जाएगी.
इकोग्रीन चीन की हिस्सेदारी वाली कंपनी है जो कूड़े से बिजली और अन्य उत्पाद बाने के लिए जानी जाती है.
लखनऊ नगर निगम की मेयर संयुक्ता भाटिया ने एक बयान में कहा है कि चीन के साथ विवाद को देखते हुए इकोग्रीन का ठेका ख़त्म करने का फ़ैसला लिया गया है.
उन्होंने कहा कि ठेका ख़त्म होने के बाद लखनऊ में घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करने का काम किसी और कंपनी से कराया जाएगा,.
इकोग्रीन फिलहाल लखनऊ में घरों का कूड़ा उठाती है.
इकोग्रान ने साल 2017 में लखनऊ में कूड़ा उठाने का काम शुरू किया था. कंपनी को पूरे लखनऊ में घर-घर से कूड़ा उठाने का टार्गेट दिया गया था जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
चीन के साथ तनाव के चलते हो रहा है विरोध
15-16 जून की रात लद्दाख की गलवान वैली में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए हिंसक संघर्ष में बीस भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद देशभर में चीन के प्रति गुस्सा भड़क रहा है.
भारत सरकार ने चीन के 59 मोबाइल एप बैन करने के साथ साथ चीनी कंपनियों को विभिन्न क्षेत्रों में दिए ठेके भी रद्द करने शुरू कर दिए हैं. भारतीयों में चीन के उत्पादों के प्रति भी गुस्सा है.
ऐसे में लखनऊ में भी चीन की कंपनी जिनजियांग एनवायरनमेंट होल्डिंग कंपनी लिमिटेड की सब्सिडरी कंपनी इकोग्रीन वेस्ट टू इनर्जी के ख़िलााफ़ भी लोगों का ग़ुस्सा भड़क गया है. ये कंपनी कूड़े से ऊर्जा बनाने का 47 एकड़ में प्लांट चलाती है. ये प्लांट मोहन रोड पर शिवरी गांव में स्थित है जहां 15 मेगावॉट बिजली पैदा की जाती है. इस कंपनी ने इस प्रोजेक्ट में 429 करोड़ रुपए का निवेश किया है.
लखनऊ के पार्षदों ने किया था विरोध
कंपनी की अधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक इस समय कंपनी के पास लखनऊ में 204 वाहन हैं जो शहर से कूड़ा उठाते हैं.
हाल ही में लखनऊ नगर निगम के पार्षदों ने भी इकोग्रीन को बैन करने की मांग करते हुए एक पत्र नगर निगम को लिखा था.
पार्षदों का कहना है कि चीन के ये कंपनी अपना काम ठीक से नहीं कर रही है.
तीन करोड़ रुपए महीना का भुगतान करता है नगर निगम
नगर निगम शहर से कूड़ा उठाने के लिए इकोग्रीन को हर महीने क़रीब तीन करोड़ रुपए का भुगतान करता है.
पत्र लिखने वाले पार्षदों का कहना का तर्क था कि एक ओर चीन भारत के सैनिकों की जान ले रहा है और दूसरी ओर चीन की कंपनियां भारत में मोटा माल कमा रही है.
इकोग्रीन पर उठते रहे हैं सवाल
चीन की कंपनी इकोग्रीन लखनऊ के अलावा ग्वालियर, फरीदाबाद, और गुरुग्राम में भी वेस्ट मैनेजमेंट का काम कर रही है.
लखनऊ में इकोग्रीन के काम पर भी सवाल उठते रहे हैं. सदन में इको ग्रीन का भुगतान रोक दिया गया था लेकिन बाद में शासन से भुगतान को मंज़ूरी दे दी गई थी.
क्या करती है इकोग्रीन
इकोग्रीन दुनिया की बड़ी वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी चाइना जिनजियांग एनवायरनमेंट होल्डिंग कंपनी लिमीटेड (सीजेई) की सब्सिडरी कंपनी है. सीजेई हांगझाऊ जिनजियांग ग्रुप (एचजेजे) का हिस्सा है जो चीन की शीर्ष 300 कंपनियों में शुमार है.
चीन की ये कंपनी कूड़े को ऊर्जा में बदलने के लिए जानी जाती है.
इकोग्रीन के मुताबिक भारत में ये कंपनी क़रीब 18 लाख लोगों के घरों से कूड़ा उठाकर उसे अपने प्लांटों तक पहुंचाती है.
कूड़े को कंपोस्ट, बिजली और रिफ्यूज़ ड्राइव्ड फ्यूल यानी आरडीएफ़ ईंधन में बदल दिया जाता है. आरडीएफ़ का इस्तेमाल सीमेंट प्लांटों में बिजली बनाने के लिए किया जाता है.