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कोरोना के डर से भयभीत है मलिहाबाद के ‘आम’ कारोबारी और किसान

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जैसे जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे आम का सीज़न नज़दीक आ रहा है, लखनऊ का मलिहाबाद क्षेत्र दशहरी आमों के लिए दुनिया भर में मशहूर है, बागों में आम की फसल अच्छी दिख रही है पर वहां के आम व्‍यापारी उमर साबिर इन द‍िनों काफी परेशान हैं। उन्‍हें चिंता है इस साल हुई अच्‍छी फसल के बाद भी बाजार में आम बिक पाएंगे या नहीं। उमर कहते हैं, ”पिछले साल के मुकाबले इस साल अच्‍छी फसल होगी। बागों में आम भी अच्‍छे दिख रहे हैं, लेकिन कोरोना की वजह से जो हालात बने हैं वो डरा रहे हैं, पता नहीं बाजार तक आम पहुंच पाएंगे या यहीं सड़ जाएंगे।”

यह हाल अकेले उमर का नहीं है। उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ जिले की तहसील मलीहाबाद में उमर जैसे बहुत से आम के व्‍यापारी और किसान हैं जो इसी बात से परेशान हैं कि आने वाले आम के सीजन में उनके कारोबार का क्‍या होगा। मलीहाबाद क्षेत्र आमों का राजा कहे जाने वाले दशहरी आम के उत्‍पादन के लिए प्रसिद्ध है। अभी मलीहाबाद में आम की फसल तैयार हो रही है, जो एक जून से बाजार में आने लगेगी।

मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष इंसराम अली बताते हैं, ”उत्‍तर प्रदेश में 15 मैंगो बेल्‍ट हैं, इनसे 45 लाख टन आम का उत्‍पादन होता है। अकेले मलीहाबाद से 6 लाख टन आम का उत्‍पादन होता है। एक जून से 20 जुलाई तक आम का सीजन चलेगा, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इस बार हालात अलग हैं। कुछ भी तय नहीं लग रहा।”

इंसराम कहते हैं, “अगर आम बागों से मंडियों तक नहीं पहुंचे या फिर व्‍यापारी मंडियों तक नहीं पहुंच पाए तो आम बिक नहीं पाएंगे। ऐसे हाल में किसानों और आम के व्‍यापारियों को औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचनी होगी। इन हालातों को देखते हुए सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए ताकि आम बिक पाएं। साथ ही सरकार जिस तरह गन्‍ने और गेहूं का मूल्‍य तय करती है, उसी तरह आम का भी दाम तय होना चाहिए। इन हालातों में यह जरूरी कदम होगा।”

आम के सीजन में मलीहाबाद क्षेत्र से रोजाना करीब 200 से 300 ट्रक देश भर की मंडियों में जाते हैं। अगर कोरोना वायरस का असर जून में भी ऐसा ही बना रहा और लॉकडाउन के आसार भी बने रहे तो इसका असर मलीहाबाद के आम कारोबार पर भी पड़ेगा। यह तो हुई तबकी बात जब आम का सीजन शुरू होगा, लेकिन इस वक्‍त भी तालाबंदी की वजह से आम की फसल की देख-रेख को लेकर किसान और व्‍यापारी परेशान हैं। किसी को खेतों में काम करने वाले मजदूर नहीं मिल रहे तो कोई बागों में पानी चलाने को लेकर चिंतित है।

मलीहाबाद के धनेवा गांव के रहने वाले मोहम्‍मद आकील का आम का बाग पांच बीघे में फैला है। इसके अलावा भी उन्‍होंने कई बाग खरीद रखे हैं। आकील बताते हैं, ”मैंने कीड़ों से आम को बचाने के लिए छिड़काव तो करा दिया है, लेकिन अभी पानी नहीं चला पाया हूं, क्‍योंकि लॉकडाउन की वजह से मजदूर मिल नहीं रहे। सरकार ने खेती और बागों की देखभाल के ल‍िए छूट तो दे रखी है, लेकिन मजदूर हों तब तो अच्‍छे से देखभाल की जाए। अभी आम दो से ढाई इंच के हो गए हैं, अब बागों में पानी चलाने की जरूरत है।”

मलीहाबाद के ज्‍यादातर किसानों और व्‍यापारियों का हाल कम-ओ-बेश आकील की तरह ही है। वे आम की फसल को तैयार करने में जुटे हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन्‍हें दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है।

आम के व्‍यापारियों की एक और मांग है कि सरकार जून से पहले आम रखने के लिए कैरेट बनाने वाली फैक्‍ट्र‍ियों को खोलने की इजाजत भी दे। इस बारे में सुल्‍तान फ्रूट कंपनी के मालिक शाहवेज खान कहते हैं, ”आम को कैरेट में रखकर मंडियों तक भेजा जाता है। अभी कैरेट बनाने वाली कंपनियां बंद हैं। अगर वो पहले नहीं खुलेंगी तो एक बार में डिमांड पूरी नहीं हो सकती। ऐसे हाल में आम बागों में ही सड़ सकते हैं। सीजन से पहले अगर पूरी सप्‍लाई चेन दुरुस्‍त नहीं हुई तो हमें घाटा होना तय है।”

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