लखनऊ. पूरे देश में जहां कोरोना वॉरियर सफाई कर्मचारियों को माला पहना कर उनका उत्साहवर्धन किया जा रहा है, तो वहीं लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के शताब्दी ब्लॉक के सफाई कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार करना पड़ गया है। वजह है उनकी सैलरी कटना। कर्मचारियों का कहना कि पिछले साल दिसंबर तक हमें 8 हजार रुपये प्रति महीने की दर से सैलरी मिलती थी, लेकिन पिछले तीन महीनों से हमें सैलरी नहीं मिली। जब हमने विरोध प्रदर्शन शुरू किया तो सैलरी आई तो, लेकिन कटकर। वहीं कई कर्मचारियों का कहना है कि उनकी सैलरी अभी तक आई ही नहीं है। उनका कहना है कि सैलेरी में बढ़ोत्तरी न सही, जितनी है उतनी तो मिले।
सफाई कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार करना केजीएमयू में भर्ती मरीजों के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकता है। यहां वार्डों में गंदगी का अंबार है। जगह-जगह कचरा पड़ा है। मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली खाली ग्लूकोज की बोतल, रूई-पट्टी, निडिल, ग्लब्स व मास्क आदि सभी वार्डों में ही पड़ा रहा। कचरा भी उठाया नहीं गया। बदबू से मरीजों का हाल बेहाल हो रहा है।
शुक्रवार सुबह संविदा पर तैनात 39 सफाई कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर एक साथ बाहर आ गए व हंगामा शुरू कर दिया। उनका आरोप है कि तीन माह से उन्हें सैलेरी नहीं मिल रही थी। तीन दिन पहले करीब 12-12 हजार रुपये सभी के बैंक एकाउंट में आएं। प्रत्येक कर्मचारी का करीब 27 हजार रुपये वेतन हो रहा था। शिकायत के बाद संस्था ने बाद में वेतन देने की बात कही। इस पर कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर दिया। कर्मचारियों का आरोप है कि संस्था न तो पीएफ की जानकारी देती है और न ही दूसरे मदों की। जबकि हर माह वेतन से उसकी कटौती की जा रही है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीके ओझा के समझाने के छह घंटे बाद कर्मचारियों ने काम शुरू किया।