कानपुर में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस पर घेरकर गोलीबारी की गई जिसमें डिप्टी एसपी सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए हैं. सात पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं.
विकास दुबे पर 60 मुक़दमे दर्ज हैं जिनमें थाने में ही बीजेपी नेता की हत्या का मुक़दमा भी शामिल है.
'बदमाश ठोंके जाते रहेंगे' और 'सारे अपराधी यूपी छोड़कर भाग चुके हैं', के दावों के बीच हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने कानपुर में 8 पुलिसवाले ठोंक दिए !#Yogi_ka_Jangal_Raj pic.twitter.com/UXGsCNvJld
— Digvijay Singh “Dev” (@digvijaysinghd9) July 3, 2020
योगी आदित्यनाथ सरकार अपराधियों के सामने 'सरेंडर' कर चुकी है।
— UP East Congress (@INCUPEast) July 3, 2020
विकास दुबे ने साल 2001 में राजनाथ सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी.
इससे पहले साल 2000 में विकास दुबे ने कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडे की हत्या कर दी थी.
वहीं साल 2000 में इसी थानाक्षेत्र में हुई रामबाबू यादव की हत्या की साज़िश रचने का आरोप भी विकास दुबे पर लगा था. विकास दुबे उस समय जेल के भीतर था.
इसके बाद साल 2004 में केबल कारोबारी दिनेश दुबे की हत्या के आरोप भी विकास दुबे पर लगे. इस हत्याकांड के दौरान भी विकास जेल में बंद था.
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हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे हमेशा राजनेताओं के क़रीब रहा और अपराध की दुनिया में अपना रसूख बढ़ाता रहा.
साल 2002 में जब यूपी में मायावती की सरकार बनीं तो विकास दुबे बड़े पैमाने पर ज़मीनों पर क़ब्ज़े किए. विकास दुबे ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से संपत्तियों पर क़ब्ज़े करता गया और कोई उसे रोकने वाला नहीं था.
उसका दबदबा शिवली थानाक्षेत्र के बाहर बिल्हौर, शिवराजपुर, जौबेपुर, रिनयां और कानपुर नगर तक पहुंच गया.
इस बदमाश का रसूख ऐसा बना कि जेल में रहते हुए ही इसने शिवराजपुर नगर पंचायत का चुनाव जीत लिया.
गुरुवार देर रात जब पुलिस हत्या के प्रयास के एक मामले में विकास दुबे को पकड़ने पहुंची तो पुलिस पर घेरकर गोलीबारी की गई.
इसमें बिल्हौर के सर्किल ऑफ़िसर (डिप्टी एसपी) देवेंद्र मिश्र, शिवराजपुर के एसएचओ महेश यादव और दो सब इंस्पेक्टर समेत कुल आठ पुलिसकर्मी शहीद कर दिए गए.
क़ानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार दावा करती रही है कि उसके शासन में क़ानून सख़्त है और बदमाश भाग चुके हैं. प्रदेश में बड़े पैमाने पर एकाउंटर भी हुए जिनमें छोटे-मोटे बदमाश मारे जाते रहे.
विकास दुबे का दुस्साहस बताता है कि बड़े बदमाशों को ज़रुर राजनीतिक शह प्राप्त है. सोशल मीडिया पर यूपी सरकार से सवाल भी पूछे जा रहे हैं.
खूंखार विकास दुबे पर किसका शह था? कानपुर में 08 पुलिसकर्मियों की हत्या कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने पर मुहर लगा रही है। योगी आदित्यनाथ तत्काल इस्तीफा दें। #योगी_इस्तीफा_दो
— Suraj Kumar Bauddh (@SurajKrBauddh) July 3, 2020
ये हो नहीं सकता कि 60 संगीन आरोपों में शामिल हिस्ट्रीशीटर विकास दूबे, पूर्व प्रधान/जिला पंचायत सदस्य, को किसी बड़े सत्ताधारी नेता या मंत्री का संरक्षण न हो l भाजपा के ही पूर्व राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को थाने में घुसकर मारा था, फिर जमानत कैसे हुई?
योगीराज = गुंडाराज— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) July 3, 2020