सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सबकुछ ठीक होने के दावों के बीच एक न एक मामला ऐसा आ ही जाता है जो पूरी व्यवस्था की कलई खोल देता है.
अब शर्मिंदा करने वाली घटना हुई है उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िला अस्पताल में जहां एक तीन साल के बच्चे के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस के ड्राइवर ने पीड़ित परिवार से 1800 रुपए मांग लिए.
परिवार के पास पैसे नहीं थे, लिहाज़ा वो अपने कलेजे के टुकड़े को सीने से चिपकाए रोडवेज़ बस स्टैंड ले गए जहां एक सब इंस्पेक्टर ने उन्हें सरकारी बस में बिठा कर घर रवाना किया.
दरअसल जौनपुर के सरपतहा थाना क्षेत्र के उसरौली गांव के रहने वाले रामनयन के तीन साल के बेटे दिव्यांश को सांप ने काट लिया था.
वो उसे लोकर सुल्तानपुर ज़िला अस्पताल पहुंचे जहां उसकी मौत हो गई.
उन्होंने अस्पताल से घर जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस की मांग की लेकिन कोई एंबुलेंस उनके लिए मुहैया नहीं कराई जा सकी.
बाद में एक एंबुलेंस चालक ने उनसे कहा कि वो उन्हें घर छोड़ देगा लेकिन इसके बदले में 18 सौ रुपए देने होंगे.
गरीब रामनयन के पास इतने पैसे नहीं थे. वो और उनकी पत्नी सुमित्रा अपने कलेजे के टुकड़े की लाश को सीने से चिपकाए रोडवेज़ बस स्टेंड की ओर पैदल ही चले गए.
रोते-बिलखते माता-पिता को देखकर लोगों ने पुलिस को सूचना दी तो मौके पर नियाज़ नाम के एक चौकी इंचार्ज पहुंचे जिन्होंने उन्हें सरकारी बस में बिठा कर घर भिजवा दिया.
इस बारे में जब स्थानीय पत्रकारों ने अस्पताल प्रशासन से सवाल किए तो वही रटा-रटाया जवाब मिला कि हमें जानकारी नहीं है, जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता और असंवेदनशीलता का यह पहला मामला नहीं है.
हर बार जब भी ऐसी घटना सामने आती है, प्रशासन जांच की बात करता है, वो जांच जो शायद कभी होती ही नहीं.