उत्तर प्रदेश पुलिस का सिरदर्द बने गैंगस्टर विकास दुबे को एक कथित एनकाउंटर में मार दिया गया है. लेकिन विकास दुबे की कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई है.
हर बीतते दिन के साथ नई जानकारियां सामने आ रही हैं. विकास दुबे और उसके कई गुर्गों के सफ़ाए के बाद अब नज़रें उसकी संपत्तियों पर हैं.
प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफोर्समेंट डायरेक्टेरेट ने विकास दुबे की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है.
ईडी ने पुलिस से आपराधिक मामलों के बारे में भी जानकारी मांगी है. ईडी विकास दुबे और उससे जुड़े लोगों की संपत्तियों की लिस्ट बना रहा है.
सूत्रों के मुताबिक संपत्तियों की जांच की सूई कानपुर के कई बड़े व्यापारियों की ओर घूम रही है.
अब तक की जांच में पुलिस को पता चला है कि विकास दुबे रंगदारी से लिए गए पैसों को बाज़ार में सूद पर चलाता था.
जांच में सामने आया है कि प्रॉपर्टी डीलर जय वाजपेयी के ज़रिए विकास दुबे ने दुबई और थाइलैंड में भी पैसा निवेश किया था.
विकास दुबे से संबंधों के चलते ही जय वाजपेयी के कारोबार की जांच भी ईडी कर रही है.
माना जा रहा है कि जय वाजपेयी के ज़रिए ही विकास दुबे ने अपराध के पैसे को प्रॉपर्टी में लगाया था.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कानपुर के पास चौबेपुर में कई कंपनियों को ज़मीन दिलाने में भी विकास की भूमिका थी.
ज़मीन दिलाने के एवज में उसने कंपनियों से भी मोटा पैसा वसूल किया था. ईडी के रडार पर चौबेपुर की कंपनियां भी आ सकती हैं.
हालांकि विकास की मौत के साथ ही कई राज़ भी दफ़न हो गए हैं. बहुत संभव है कि उसकी जड़ों तक जांच पहुंच ही ना पाए.
विकास दुबे प्रकरण ने एक बार फिर सत्ता, पुलिस और अपराधी के गठजोड़ को उजागर कर दिया है.
कानपुर के एसएसपी रहे अनंत देव के साथ भी विकास दुबे के लोगों के संपर्क सामने आए हैं.
आरोप है कि विकास के ख़िलाफ़ की गई शिकायत को तत्कालीन एसएसपी अनंत देव ने नज़रअंदाज़ कर दिया गया था.
हालांकि पुलिस ने ऐसे आरोपों से इनकार किया है. अनंत देव को फिलहाल एसटीएफ़ से पीएसी भेज दिया गया है.
विकास की मौत पर सवाल
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कल उज्जैन से कानपुर लाए जाते समय विकास दुबे का रास्ते में एनकाउंटर कर दिया था. पुलिस ने किसी कमज़ोर फ़िल्म की रद्दी पटकथा जैसी कहानी सुनाई है.
विकास दुबे के एनकाउंटर का अंदेशा पहले ही ज़ाहिर कर दिया गया था. अब यूपी सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि बड़े लोगों को बचाने के लिए विकास दुबे को निपटा दिया गया है.
इस पूरे प्रकरण ने उत्तर प्रदेश पुलिस की साख पर बट्टा लगा दिया है. ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब यूपी पुलिस के पास नहीं है.